अक्सर जो किरदार बाहर से आसान लगते हैं, वे निभाने पर कहीं ज़्यादा कठिन साबित होते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ अभिनेत्री मीना मीर के साथ जो इन दिनों सन नियो के शो प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बिंदणी में गायत्री देवी की भूमिका निभा रही हैं।
इस किरदार के बारे में पढ़ते ही मीना को अपनी मां की याद आई और उन्हें लगा कि इसे निभाना उनके लिए बेहद सहज होगा। लेकिन जैसे-जैसे उन्होंने गायत्री देवी को जिया, उन्हें समझ आया कि असलियत कहीं अधिक गहरी और चुनौतीपूर्ण है।

मीना मीर कहती हैं,“जब पहली बार मैंने गायत्री देवी का किरदार के बारे में जाना, तो मुझे तुरंत अपनी मां की याद आई। मैं बचपन से ही अपनी मां को बहुत ध्यान से देखती रही हूं जैसे उनकी बोलने की शैली, अलग-अलग परिस्थितियों में उनका धैर्य और उनका गरिमामयी, लेकिन स्नेह से भरा व्यवहार। मुझे लगा कि यह किरदार मेरे लिए आसान होगा क्योंकि सब कुछ पहले से ही मेरे अंदर बसा हुआ है।”
वह आगे जोड़ती हैं, “जैसे-जैसे मैंने इस किरदार को निभाना शुरू किया, एहसास हुआ कि कैमरे पर किसी को जीना, असल ज़िंदगी में उन्हें देखने से बिल्कुल अलग है मेरी मां निश्चित रूप से मेरी प्रेरणा थीं, पर उस भाव को परदे पर उतारने के लिए मुझे बहुत मेहनत, धैर्य और अनुशासन की ज़रूरत पड़ी।
गायत्री देवी में मुझे ताक़त और कोमलता, अधिकार और संवेदनशीलता, परंपरा और भावना इन सबका संतुलन साधना था।इस सफर ने न केवल मुझे इस किरदार की गहराई समझाई, बल्कि अपनी मां की मौन शक्ति के प्रति भी मेरा सम्मान और बढ़ादिया।”
प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बिंदणी की कहानी घेवर नाम की एक चंचल और निडर लड़की की है, जो राजस्थान के छोटे से गांव में रहती है। माता-पिता के गुजर जाने के बाद उसका पालन-पोषण बड़े भाई और भाभी ने प्यार से किया है। उसका संसार सिर्फ अपने परिवार के इर्द-गिर्द घूमता है।लेकिन किस्मत एक दिन उनकी ज़िंदगी में एक नवजात शिशु को ले आती है जो उसे बिल्कुल एक अलग दुनिया से जोड़ता है।
आशा, आघात और छिपे रहस्यों से भरी यह कहानी घेवर के संघर्ष और बलिदानों की दास्तां है, जिसमें एक औरत अपने प्यार और परिवार की हिफ़ाजत के लिए डटकर खड़ी होती है।
देखिए ‘प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बिंदणी’हर रोज रात 9 बजे, सिर्फ सन नियो पर।
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