जैसे ही भारत डीप-टेक नवप्रवर्तनों के एक परिवर्तनकारी दशक की ओर अग्रसर हो रहा है, एफ आई टी टी फॉरवर्ड (FITT FORWARD 2025) (21–22 अगस्त 2025), एफ आई टी टी – आईआईटी दिल्ली परिसर) एक निर्णायक क्षण पर आयोजित हो रहा है।
आईआईटी दिल्ली के Foundation for Innovation and Technology Transfer (FITT) द्वारा आयोजित यह राष्ट्रीय समागम डीप-टेक स्टार्टअप्स, नीतिनिर्माताओं, वैश्विक निवेशकों और अनुसंधान नेताओं को एक मंच पर ला रहा है ताकि भारत को वैश्विक नवाचार के मानचित्र पर और आगे ले जाया जा सके।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के इस विचार के साथ हुआ – “आज के स्टार्टअप्स ही कल के MNC होंगे, और आज के उद्यमी ही कल के नेता बनेंगे।”
कार्यक्रम में FITT के प्रबंध निदेशक डॉ. निखिल अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को भविष्य का विचार चाहिए। उन्होंने बताया कि इस वर्ष के FITT संस्करण में स्टार्टअप उत्साहियों की तुलना में निवेशकों की संख्या अधिक दिखाई दी, जो स्टार्टअप्स के मजबूत भविष्य का संकेत है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत के 30 प्रतिशत यूनिकॉर्न संस्थापक IIT दिल्ली से हैं, जिससे यह संस्थान स्टार्टअप इकोसिस्टम और रोजगार सृजन का प्रमुख केन्द्र बन गया है। उनके अनुसार FITT का उद्देश्य केवल अमीरों को और अमीर बनाने में योगदान करना नहीं है, बल्कि आम जनता की समस्याओं का समाधान करना है। उन्होंने कहा कि डीप-टेक की शक्ति भारत के हर कोने से रचनात्मकता को सामने ला सकती है और FITT फॉरवर्ड जैसे प्लेटफ़ॉर्म इन विचारों को फैलाने का काम करते हैं।
इसके बाद डॉ. प्रीति रंजन पांडा, डीन (कॉरपोरेट रिलेशन) ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने अकादमिक शोध को वास्तविकता में बदलने की आवश्यकता और महत्व पर भी जोर दिया।
प्रोफेसर रंगन बनर्जी ने अपने संबोधन में कहा कि हमें भारत को आत्मनिर्भर, सशक्त और विकसित बनाना है।
कार्यक्रम में FITT के अन्य संस्थानों और संगठनों के साथ सहयोग की घोषणा की गई, जिनमें NSCREL (IIT बैंगलोर), HS फाउंडेशन और Shannon Advisor शामिल थे। उनके प्रतिनिधियों का सम्मान भी किया गया। इसी के साथ Healthy India Program की शुरुआत की गई। यह कार्यक्रम कार्डियोमेटाबॉलिक बीमारियों से निपटने के लिए है, जो देश की मृत्यु दर और अर्थव्यवस्था दोनों पर गंभीर प्रभाव डालती हैं। यह पहल ऐसी बीमारियों के प्रभाव को कम करने में मददगार साबित होगी।
अंत में डेनमार्क के भारत में राजदूत श्री रास्मुस एबिलगार्ड क्रिस्टेंसन ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि डेनमार्क और भारत इस यात्रा में स्वाभाविक साझेदार हैं—जहाँ डेनमार्क के पास नवाचार केन्द्र हैं वहीं भारत के पास उन्हें बुद्धिमानी से उपयोग करने की मानसिकता है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि टेक स्टार्टअप्स के क्षेत्र में सरकार, उद्योग और अकादमिक जगत का साझा उद्देश्य अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम के दौरान 20 से अधिक एमओयू, 30 से अधिक स्टार्टअप–निवेशक बैठकें, और 8–10 CSR सहभागिता घोषणाएँ अनुमानित हैं । प्रमुख विषय क्षेत्रों में Climate-smart tech, ग्रामीण स्वास्थ्य हेतु AI, सहायक प्रौद्योगिकी, सौर-संचालित कृषि, डिजिटल अवसंरचना तथा AI-आधारित सेवा परिवर्तन शामिल हैं। मुख्य फोकस क्षेत्रों में हेल्थटेक, ग्रीनटेक, सेमिकंडक्टर्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, स्मार्ट मोबिलिटी एवं GenAI for skilling शामिल हैं।
यहाँ कई ऐसे स्टार्टअप देखने को मिलें जो भारत में पहली बार लॉन्च हो रहे हैं। कुछ स्टार्टअप्स में — आईआईटी दिल्ली के साथ सहयोग से विकसित एक अत्याधुनिक जैव-प्रसंस्करण तकनीक शामिल है, जो साधारण कपड़ों को त्वचा-हितैषी, हर्बल वेलनेस परिधानों में बदल देती है।
एक स्वास्थ्य-प्रौद्योगिकी नवोन्मेषक एक पोर्टेबल निदान उपकरण लॉन्च कर रहा है, जो मूत्र में प्रोटीन का पता लगा सकता है और ग्रामीण इलाकों तक, जहाँ आर्थिक तंगी के चलते लोग प्रयोगशाला-स्तरीय परीक्षण नहीं करा पाते, वहाँ यह सुविधा सस्ते दामों में पहुँचाएगा।
एक स्वास्थ्य-प्रौद्योगिकी प्लेटफ़ॉर्म पहनने योग्य उपकरणों से पहले ही आपके शरीर में दिखने वाली गंभीर बीमारियों के लक्षणों से अवगत करा देगा।
यहाँ एक ऐसा कपड़ा भी लॉन्च किया जाएगा जो 30 मिनट के भीतर 99.9% बैक्टीरिया और वायरस नष्ट कर देता है।
इसके अलावा भारत का पहला रोबोट, जो स्विमिंग पूल की सफाई और कीटाणुशोधन करता है — जिसे पहले ही सर्वश्रेष्ठ रोबोटिक्स स्टार्टअप का पुरस्कार मिल चुका है — अब सार्वजनिक लॉन्च के लिए तैयार है।
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